यीशु ने कलवरी दुःख क्यों सह लिया,
मुझ पापी में क्या देखा था
कोई खूबी नहीं, कोई खूबी नहीं
मुझ में कोई भी खूबी नहीं
प्रेमियों ने तो छोड़ दिया था,
कोई न मेरा था तेरे ही सिवा
कोई खूबी नहीं, कोई खूबी नहीं
मुझ में कोई भी खूबी नहीं
पाप में मरके जी उदास हुआ
जीना ही मेरा था मौत की तरह
कोई खूबी नहीं, कोई खूबी नहीं
मुझ में कोई भी खूबी नहीं
नयन से मैंने पाप किया था,
जीभ से मैंने, न तेरी महिमा की
कोई खूबी नहीं, कोई खूबी नहीं
मुझ में कोई भी खूबी नहीं
पांव से न मैं तेरी राह चला
हाथ से न मैंने तेरी सेवा की
कोई खूबी नहीं, कोई खूबी नहीं
मुझ में कोई भी खूबी नहीं
प्रेम की संती क्या मैं तुझे देऊ
सोच सोचे मैं उसके पांव पे गिरुं
कोई खूबी नहीं, कोई खूबी नहीं
मुझ में कोई भी खूबी नहीं